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Lord Shiva Dhatura: भगवान शिव को क्यों चढ़ाया जाता है धतूरा, जानिए क्या है पौराणिक कथा

Lord Shiva Dhatura: अक्सर अपने पूजा पाठ के दौरान देखा होगा कि लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं। विधि विधान से उनकी आराधना करते हैं इसी के साथ उन्हें धतूरे का भोग भी लगाया जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान शिव को धतूरा क्यों चढ़ाते हैं इसके पीछे क्या वजह होती है। अगर आपने अभी तक ऐसा नहीं सोचा है, तो आज हम आपको इस आर्टिकल में पूरी जानकारी देंगे। अगर आप भी भगवान शिव की पूजा करते हैं और उन्हें धतूरा चढ़ाते हैं तो इस खबर को पूरा पढ़ें कि इसके पीछे क्या मान्यता है। हर सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है धतूरा चढ़ाया जाता है जिससे कि भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। वही ज्योतिष शास्त्र में धतूरे को राहु का कारक माना गया है, इसलिए भगवान शिव को धतूरा अर्पित करने से राहु से संबंधित दोष जैसे कालसर्प पितृ दोष दूर हो जाते हैं।

धतूरे के पीछे क्या है धार्मिक मान्यता

समुद्र मंथन की कहानी तो लोगों ने सुनी ही होगी. समुद्र मंथन में अन्य वस्तुओं के साथ-साथ जहां एक ओर अमृत निकला, वहीं दूसरी ओर विष भी निकला। अब समस्या यह थी कि यदि उस विष पात्र को पृथ्वी पर रखा जाता तो उसके प्रभाव से पृथ्वी जहरीली हो सकती थी और उस पर रहने वाले सभी प्राणियों का जीवन संकट में पड़ सकता था।

भगवान शिव को क्यों चढ़ाया जाता है धतूरा (Lord Shiva Dhatura Benifits)

विष पीने के बाद भगवान शिव चिंतित रहने लगे। वह जहर भगवान शिव के मस्तिष्क तक पहुंच गया और भोलेनाथ बेहोश हो गए। देवताओं के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई. उन्होंने भगवान शिव को होश में लाने के लिए बहुत प्रयास किये। इस स्थिति में आदि शक्ति प्रकट हुईं और उन्होंने देवताओं से जड़ी-बूटियों और जल से भगवान शिव का उपचार करने को कहा। देवताओं ने विष की गर्मी दूर करने के लिए भगवान शिव के सिर पर धतूरा और भांग रखा।

इसके बाद विष को शांत करने के लिए भगवान शंकर के माथे पर धतूरा और भांग लगाकर जलाभिषेक किया। ऐसा करने से भगवान शिव के सिर से जहर बाहर निकल गया और भगवान होश में आ गये। पुराणों के अनुसार तभी से भगवान शिव को धतूरा, भांग और जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। भांग और धतूरे ने भगवान शिव की चिंता दूर की। इसलिए ये दोनों ही भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। शिवलिंग पर भांग-धतूरा चढ़ाने से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।

इस स्थान पर ठहरते हैं भगवान शिव

आपको बता दें कि नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से कुछ दूरी पर पहाड़ों में स्थित है। वहां के लोग कहते हैं कि विष पीने के बाद भगवान शिव अपना मन एकाग्र करने के लिए यहीं रुके थे। इस पहाड़ी इलाके के जंगलों में भांग बहुतायत से उगती है। वैसे इस क्षेत्र के जंगलों में बेल के पेड़ भी बहुतायत में पाए जाते हैं। जब भी लोग ऋषिकेश जाते हैं तो नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं। इसके अलावा धतूरे का उपयोग आयुर्वेद में औषधि के रूप में भी किया जाता है।

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Pooja Mishra
मैं पूजा मिश्रा मुझे लिखना अच्छा लगता है किसी भी बीट पर लिखती हूं। फिलहाल अभी मैं लाइफस्टाइल बीट पर काम कर रही हूं। मैने अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी से पूरी की है। मैने 5 साल अलग अलग मीडिया चैनल में बतौर कंटेंट राइटर काम किया है। इसके अलावा मुझे एंटरटेनमेंट बीट पर काम करना ज्यादा पसंद है। मैं अपने काम में नया और क्रिएटिव सीखने की कोशिश करती हूं।

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